एक दीपक मैं जलाऊँ, एक दीपक तुम जलाओ !! तुम तमस में रोशनी हो भोर की उजली किरण हो इस अधूरी जिंदगी का इक समूचा व्याकरण हो पृष्ठ पर मन की ऋचाओं का सरलतम उद्धरण हो भाव के अनुकूल…
दो नयनों में काटी रात
चाँद उगा अम्बर आँचल में दो नयनों में काटी रात सर्द सुबह तक नर्म अंधेरा हमने मिलकर बांटी रात जिस्म नशा था रूह प्यास थी घटती बढ़ती आधी रात अजातशत्रुपिता: गोवर्धन सिंह राव माता :राजकुमारी राव जन्मस्थान : झीलों की…
मुक्तक
1. लड़की दिल से तहस नहस निकली बात निकली तो फिर बहस निकली उसकी नफ़रत में प्यार शामिल था आपके प्यार में हवस निकली 2. अपने संयम की परीक्षा कर रहा हूं प्रेम व्याकुल है समीक्षा कर रहा हूं बैठकर…