भोली सी नादान वो लड़कीं उसकी ख़ता नही मैं उस पर कविता लिखता हूँ उसको…
श्रृंगार रस
प्यासे प्यासे मेरे मछुआरे नयन
झुके कारे करारे शरारे नयन जैसे सागर में दो तैरती मछलियां प्यासे प्यासे मेरे मछुआरे…
जब तुम्हारी मांग में सिंदूर का टीका लगे
जब तुम्हारी मांग में सिंदूर का टीका लगे पांव में बिछिया ओ मेहंदी हाथ मे…
दो नयनों में काटी रात
चाँद उगा अम्बर आँचल में दो नयनों में काटी रात सर्द सुबह तक नर्म अंधेरा…
मुक्तक
1. लड़की दिल से तहस नहस निकली बात निकली तो फिर बहस निकली उसकी नफ़रत…