हिंदी गाये मंगलगान,
गान से आकर्षित हो ध्यान
ध्यान में झूमे हिंदुस्तान,
यही सबकी अभिलाषा है।
सुपावन हिंदी भाषा है।
जोड़ रही जो मानवता को, तोड़ रही कुप्रथाएं
लय, गति ,उत्ताल तरंगे मन को छू-छू जाएँ।।
मिला है भारत को वरदान ,
इसी से होना है उत्थान ,
बनाये रखना इसकी शान ,
समुन्नति की नित आशा है।
सुपावन हिंदी भाषा।
अलंकार, रस ,छंद ,समाहित पिंगल तत्व अनूठे ।
स्वर , व्यंजन में रची-बसी , भवव्यंजन लागे झूठे ।
तान दे गीतकार जब तान ,
गायकों के जागे अरमान ,
लगे क्यों हानि – लाभ का भान ,
सिद्धि ने स्वयं प्रकाशा है।
सुपावन हिंदी भाषा है।।
लोकसंस्कृतियाँ प्रमुदित होकर , आरती उतारें
अन्य बोलियाँ मिल जुल कर अपना सब कुछ वारें।
इसी से उर्दू को अभिमान ,
संस्कृत से पाती सम्मान ,
हुई है दिग-दिगंत गतिमान ,
रूग्ण को लाभ दवा-सा है।
सुपावन हिंदी भाषा है।।

जन्म : 07/05/1990
स्थान : लखनऊ
पिता का नाम : श्री रतन तिवारी
माता का नाम : श्रीमती सुमन तिवारी
शिक्षा : बी.एड., एम.ए. (हिंदी), नेट उत्तीर्ण
काव्य – यात्रा : 13 अगस्त 2005 पहला कवि सम्मेलन अब तक लगभग 1000 से अधिक मंचों तथा विभिन्न टी.वी. एवं रेडियो चैनल से काव्य पाठ
उपलब्धि : सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान, महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान, सुमित्रा कुमारी सिन्हा सम्मान, निराला सम्मान, अमृत लाल नागर सम्मान, दिनकर सम्मान, युवा रत्न सम्मान, अवध गौरव सम्मान, दिव्यांकुर सम्मान, स्वामी विवेकानंद सम्मान, काव्य गौरव सम्मान, युवा गौरव सम्मान, अटल स्मृति सम्मान, कीर्तिमान सम्मान, साहित्य भारती सम्मान, ब्राह्मण कुलभूषण सम्मान, स्व. देवल आशीष सम्मान, महाराजा देवी बक्श सिंह स्मृति सम्मान, रानी लक्ष्मी बाई सम्मान इत्यादि.