सपने तुमको बहकायेंगे,
लेकिन सपनों में खोना मत।
संकट आयेंगे जायेंगे,
हर एक बात पर रोना मत।
यदि थोड़े झंझावातों से ,
पथ छोड़ोगे, डर जाओगे।
घुटने टेके , बन गये भीरु
तो बिना मौत मर जाओगे ।।
यदि बिके नहीं तुम डटे रहे ,
युग अपलक तुम्हें निहारेगा।
लेकर भविष्य ही स्वर्ण थाल,
घृत से आरती उतारेगा।।
है कविता का दायित्व बोध ,
शब्दों से सतत् जोड़ती हूँ।
निर्णय तुमको लेना होगा ,
तुम पर ही तुम्हें छोड़ती हूँ।।

जन्म : 07/05/1990
स्थान : लखनऊ
पिता का नाम : श्री रतन तिवारी
माता का नाम : श्रीमती सुमन तिवारी
शिक्षा : बी.एड., एम.ए. (हिंदी), नेट उत्तीर्ण
काव्य – यात्रा : 13 अगस्त 2005 पहला कवि सम्मेलन अब तक लगभग 1000 से अधिक मंचों तथा विभिन्न टी.वी. एवं रेडियो चैनल से काव्य पाठ
उपलब्धि : सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान, महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान, सुमित्रा कुमारी सिन्हा सम्मान, निराला सम्मान, अमृत लाल नागर सम्मान, दिनकर सम्मान, युवा रत्न सम्मान, अवध गौरव सम्मान, दिव्यांकुर सम्मान, स्वामी विवेकानंद सम्मान, काव्य गौरव सम्मान, युवा गौरव सम्मान, अटल स्मृति सम्मान, कीर्तिमान सम्मान, साहित्य भारती सम्मान, ब्राह्मण कुलभूषण सम्मान, स्व. देवल आशीष सम्मान, महाराजा देवी बक्श सिंह स्मृति सम्मान, रानी लक्ष्मी बाई सम्मान इत्यादि.